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4 Jan 2021 · 1 min read

काँटोंं भरी डगर

*****काँटों.भरी डगर***
********************

मंजिलें बहुत ही सुदूर हैं
रास्ते बहुत ही काँटो भरे

घनी घनघोर घटा चल रही
पर होंसले तो हैं जोश भरे

हर हाल ख्वाब लब्ध करने
स्वप्न देखें हैं संजिदगी भरे

राहों में बहुत ही अवरोध हैं
हमराही भी हैं, विरोध भरे

डगर मंजिलों की कठिन हैं
हवाएं शीत तन शीतांग भरे

रहगुजर अति कयामत भरी
लक्ष्य पावति डगर कैसे भरें

चहुंओर तम का साया छाया
अंधकार का बादल कैसे छटे

मनसीरत फ़राख़हौसला युक्त
आत्मविश्वासी हैं साहस भरे
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
199 Views
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