क़ैद
न जाने
कैसे
अहसास
हो गया
उन्हें
हमारे दर्द का
हमने तो
सांसे
रोक कर
दर्द को ही
कैद कर
लिया था
स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल
न जाने
कैसे
अहसास
हो गया
उन्हें
हमारे दर्द का
हमने तो
सांसे
रोक कर
दर्द को ही
कैद कर
लिया था
स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल