क़िस्मत की सज़ा
विषय _ क़िस्मत की सज़ा
आखिर क्यों मेरी कहानी सताती है मुझे
क्यों अक्सर तन्हाई में रूलाती है मुझे
दोष क्या है मेरा जो मैं जो खुद की कहानी में भी
छिपाई जाती हूं
हर बार मैं ही क्यों समझाई जाती हूं
मेरी क़िस्मत के चर्चे बहुत है
मेरी नजरों में मैं खुद को कम पाती हूं
जितनी भी कोशिश करूं मैं आगे बढ़ने की
उतनी ही पीछे कर दी जाती हूं
मगर अब और नहीं, हर बार दोष किस्मत को नहीं देना चाहती
अब मैं भी अपने दम पर कुछ करना चाहती हूं
चाहती हूं मिले मुझे मेरा अधिकार
जिसकी हूं मैं हकदार
मेरे हिस्से भी मेरी क़िस्मत आएगी
बदलेगी तस्वीर मेरे जीवन की
और सपनों की सुनहरी धूप मेरे लिए खिल जाएगी।
रेखा खिंची ✍️✍️