क़लम, आंसू, और मेरी रुह
क़लम, आंसू, और मेरी रुह
सब गुलाम तेरी हों गयीं
ऎसा महसूस होता हैं कि
मुझमें मुकम्मल कुछ बचा ही नहीं
✍️ The_dk_poetry
क़लम, आंसू, और मेरी रुह
सब गुलाम तेरी हों गयीं
ऎसा महसूस होता हैं कि
मुझमें मुकम्मल कुछ बचा ही नहीं
✍️ The_dk_poetry