क़म्बख्त ये बेपरवाही कहीं उलझा ना दे मुझको,
क़म्बख्त ये बेपरवाही कहीं उलझा ना दे मुझको,
जितना लगता हूँ सुलझा हुआ.. उतना ही बहका हुआ हूँ मैं,
रात का मुसाफिर हूँ अंधेरों से याराना है..
डरना मैंने सीखा नहीं और भागना मुझे आता नहीं,
होश में कभी रहता नहीं और नशा निगाहों के अलावा कोई करता नहीं…!!
❤️ Love Ravi ❤️