क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
कभी क़ीमत भली मिलती नहीं है सुन ज़लालत की
किसी की आरज़ू पूरी करोगे तुम अगर ‘प्रीतम’
मिलेगी ज़ुस्तज़ू ख़िदमत तुम्हारी भी हिफाज़त की
आर. एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- ज़लालत- अपमान, आरज़ू- इच्छा, ज़ुस्तज़ु- तलाश, ख़िदमत- सेवाभाव, हिफाज़त- सुरक्षा