क़तआ
मिलते हैं जख़्म दिल को मुहब्बत में आजकल
होती नही गुजर है शराफ़त में आजकल
—–
जो भी मिले हैं दोस्त जमाने में अब तलक
करते हैं सब जफ़ा ही ये गुरबत में आजकल
मिलते हैं जख़्म दिल को मुहब्बत में आजकल
होती नही गुजर है शराफ़त में आजकल
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जो भी मिले हैं दोस्त जमाने में अब तलक
करते हैं सब जफ़ा ही ये गुरबत में आजकल