कह नहीं पाती, प्यार करती हूँ
कह नहीं पाती, प्यार करती हूँ
कोशिशें बार बार करती हूँ
तेरी तस्वीर देखती रहती
और तेरा इंतज़ार करती हूँ
याद में तेरी ऐसे खो जाती
खुद को ही बेकरार करती हूँ
करने मनमानियों नहीं देकर
दिल को अपने फ़िगार करती हूँ
माना दिखलाती हूँ बड़े नखरे
मिन्नतें भी हज़ार करती हूँ
‘अर्चना’ ज़िन्दगी की खातिर ही
दिल की हर बार हार करती हूँ
16-10-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद