कह दो ना उस मौत से अपने घर चली जाये,
कह दो ना उस मौत से अपने घर चली जाये,
ख्वाहिशों का परिंदा अभी और उड़ना चाहता है।
साँसें है की दामन छुडाये जा रही हैं,
मन गलियों में अभी और भटकना चाहता है।
-सरितासृजना
कह दो ना उस मौत से अपने घर चली जाये,
ख्वाहिशों का परिंदा अभी और उड़ना चाहता है।
साँसें है की दामन छुडाये जा रही हैं,
मन गलियों में अभी और भटकना चाहता है।
-सरितासृजना