कह दूँ अगर…
कह दूँ अगर इक-बात तो
नाराज तो न होगे…
जाम लेकर हाथों से तो न
छलकाओगे,
अपने अधरों से जिसे तुमने
लगाया है,
उस प्याले की हकीकत तो
न भूलोगे,
कह दूँ अगर…
आँखो में मैंने देखी है,
इक अजब सी कशिश
जो ठहरने न देगी उस घड़ी तक
चढ़ चुका है,
निशा का पहला पहर
कह दो तो साथ दूँ
गन्तव्य तक,
अपने घर का पता तो
न भूलोगे ।
कह दूँ अगर… ।।
– आनन्द कुमार