कहो नंद के लाला (भक्ति गीतिका)
कहो नंद के लाला (भक्ति गीतिका)
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(1)
गोरा-काला क्या दुनिया से, कहो नंद के लाला
सिर्फ चाहिए होना दिल से, सबको भोला-भाला
(2)
चतुराई से काम कहाँ चलते हैं इस दुनिया में
भाग्यविधाता जग में सबका, केवल ऊपर वाला
(3)
किस्मत की चाबी कहती है, मन में कपट न रखना
चतुराई को छोड़े- बिन कब, खुलता है यह ताला
(4)
बंसी बजे प्रेम की, अधरों पर छाऍं मुस्कानें
सीधी- सादी सरल जिंदगी, मन में भरो उजाला
(5)
निरभिमान से भरा हमारा, मस्तक नहीं
उठाना
चरणों में दो जगह अधर पर, दो मस्ती का प्याला
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99 97 61 5451