Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2022 · 1 min read

कहो नंद के लाला (भक्ति गीतिका)

कहो नंद के लाला (भक्ति गीतिका)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””'”””
(1)
गोरा-काला क्या दुनिया से, कहो नंद के लाला
सिर्फ चाहिए होना दिल से, सबको भोला-भाला
(2)
चतुराई से काम कहाँ चलते हैं इस दुनिया में
भाग्यविधाता जग में सबका, केवल ऊपर वाला
(3)
किस्मत की चाबी कहती है, मन में कपट न रखना
चतुराई को छोड़े- बिन कब, खुलता है यह ताला
(4)
बंसी बजे प्रेम की, अधरों पर छाऍं मुस्कानें
सीधी- सादी सरल जिंदगी, मन में भरो उजाला
(5)
निरभिमान से भरा हमारा, मस्तक नहीं
उठाना
चरणों में दो जगह अधर पर, दो मस्ती का प्याला
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99 97 61 5451

276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
कवि दीपक बवेजा
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
shabina. Naaz
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
इतनी ज़ुबाॅ को
इतनी ज़ुबाॅ को
Dr fauzia Naseem shad
और तो क्या ?
और तो क्या ?
gurudeenverma198
"UG की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कविता
कविता
sushil sarna
ना मसले अदा के होते हैं
ना मसले अदा के होते हैं
Phool gufran
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023
Sandeep Pande
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
Ajit Kumar "Karn"
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
Shyam Sundar Subramanian
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
Ravikesh Jha
4382.*पूर्णिका*
4382.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अकेला हूँ ?
अकेला हूँ ?
Surya Barman
शब्द बहुत शक्तिशाली होते है हालांकि शब्दो के दाँत नही होते ल
शब्द बहुत शक्तिशाली होते है हालांकि शब्दो के दाँत नही होते ल
Ashwini sharma
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
नेताम आर सी
होली आ रही है रंगों से नहीं
होली आ रही है रंगों से नहीं
Ranjeet kumar patre
" हम "
Dr. Kishan tandon kranti
#कविता-
#कविता-
*प्रणय*
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
#महल का कंगुरा
#महल का कंगुरा
Radheshyam Khatik
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
Manisha Manjari
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
शेखर सिंह
नर नारी
नर नारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Loading...