कहो अतीत को अलविदा
हमको लगता है अस्त हो रहा है वो
हमें नहीं दिखता कहीं उदय भी हो रहा है वो
कोशिश करिए सकारात्मक रहने की
जो कर रहा है अच्छा कर रहा है वो।।
तभी तो नई सुबह होगी
दिन के बाद जब रात होगी
आएगा जब पतझड़ तो
उसके बाद ही नई बहार होगी।।
ये रीति है इस जग की हमेशा से
गर्मियों के बाद ही बरसात होगी
बोएंगे नई फसल खेतों में तभी
ये धरती अनाज से आबाद होगी।।
दुख मनाते रहेंगे बीती शाम का तो
अच्छा कैसा होगा आगाज़ नई सुबह का
जो बिझड़ने का गम मनाते रहे हम
कैसे होगा मिलन सुखद जवां दिलों का।।
हम मानना नहीं चाहते सत्य को
जो हमें अच्छा नहीं लगता कभी
जब थोड़ा काटते है डाली को
उद्भव नई कोंपल का है होता तभी।।
जब उतरोगे पहाड़ से तुम
तभी दोबारा चढ़ पाओगे
होगा नया जोश तुममें अगर
तभी बाधाओं से लड़ पाओगे।।
मत सोचो क्या हुआ अभी तक
भूलकर सबकुछ आगे बढ़ो तुम
मिलेगा कुछ नहीं पुरानी बातों से
अतीत की गुफा में न हो जाओ गुम।।