हो तो बताना!
कहीं हयात-ए-मुख़्तसर हो तो बताना,
बिन उसके कोई बसर हो तो बताना।
उसके आस पास महफ़िल है सजी,
वहाँ पे मेरा भी ज़िक्र हो तो बताना।
क्या पहन कर जाऊँ मैं उस महफ़िल में
सूती कौन ही पहने, तसर हो तो बताना।
अजीब मर्ज है ये बे–इंतेहा इश्क़
किसी दवा का असर हो तो बताना ।
जहाँ सफ़र मंज़िल सा लगता हो
यार कोई ऐसा सफ़र हो तो बताना ।
मैंने अपने दिल की कह दी तुझसे,
तेरी भी कोई फ़िक्र हो तो बताना।
ख़ुदी में इतना मशगूल हो गया मैं
‘अभि’ भी हो कोई कसर तो बताना ।
© अभिषेक पाण्डेय अभि