” कहीं राम गुम , कहीं छुपा खुदा है ” !!
हम मन्दिर में राम ढूंढते ,
वे मस्जिद में सजदे करते !
हमने सब धर्मों को छुआ है ,
उनका केवल धर्म बड़ा है !
सबका मालिक एक यहाँ बस –
राहें सबकी जुदा जुदा है !!
संग खाते हैं ,संग पीते हैं ,
अपने – अपने घट रीते हैं !
कोई जहर घोलता वाणी ,
किसी की वाणी नहीं सयानी !
ईद – दीवाली साथ मनाते –
एक दूजे पर रहे फ़िदा हैं !!
कट्टरता ने रंग बदला है ,
फिर भी कोई नहीं संभला है !
भीड़ – भाड है भाषणबाजी ,
भूल गये हैं काबा – काशी !
भूलों को घर लौटाने को –
हम करते बस आज दुआ हैं !!