*** कहीं यह प्यार की शुरुआत तो नहीं***
उनका यूं नजर झुकाना, नजरों से नजरें बचाना।
कुछ आगे चलकर, पलट कर, हल्के से मुस्कुराना।
कहीं यह प्यार की शुरुआत तो नहीं।।
पहली मुलाकात का होना, कुछ पल में साथ खोना।
नजरों से नजरें टकराना, मिलना चाहे दो दिल अब रोजाना।
कहीं यह प्यार की शुरुआत तो नहीं।।
निकले घर से करके बहाना, बाजार से सामान कुछ है लाना।
दिलबर का भी वही चले आना, मिल कर के फिर दिल बहलाना।
कहीं यह प्यार की शुरुआत तो नहीं।।
युगल ऐसे कई दिखते रहते हैं मग में।
समझ नहीं पाते अनुनय, क्या चल रहा है उनकी रग में।
कहीं यह प्यार की शुरुआत तो नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय