कहीं पे कियूं बूंद बूंद को तरसता है आदमी
कहीं पे कियूं बूँद बूँद को तरसता है आदमी
कहीं पे कियूं पानी पानी भी होता है आदमी
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कहीं पे पड़ता है कियूं समन्दर भी कम उसे
कहीं कियूं चुल्लू भर पानी में डूबता है आदमी
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कपिल कुमार
12/11/2016