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21 Sep 2019 · 1 min read

कहीं परिंदों को चहकता हुआ देख लिया क्या

फूल को महकता हुआ देख लिया क्या
कहीं परिंदों को चहकता हुआ देख लिया क्या

तुम क्यों उतावले हुए जा रहे हो पीने पाने के लिए
किसी को नशे में बहकता हुआ देख लिया क्या

क्या कह रहे हो तुमको मोहब्बत हो गई
कोई दुपट्टा सरकता हुआ देख लिया क्या

अपने अपने हिस्से की लकड़ियां ले जाने के लिए आमादा है लोग
उन्होंने वो पेड़ दरकता हुआ देख लिया क्या

प्यासा बैठा है समंदर धुल के साहिल पर काम लिए हुए
तुमने वो दरिया भटकता हुआ देख लिया क्या

दिल में उठा हुआ बवंडर मन मार कर रह जाता है उसने भी महबूबा का चादर सिमटता हुआ देख लिया क्या

फूंक फूंक कर आग बनाने की तैयारी है तनहा
सियासत ने वो शोला दहकता हुआ देख लिया क्या

1 Like · 2 Comments · 284 Views
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