कहीं देर न हो जाए
उसके दिल में कोई
और न बस जाए
जो सोचते रहे तुम,
कहीं देर न हो जाए।।
समय की नज़ाकत है
अब इज़हार किया जाए
जो डरते रहे अब भी
कहीं देर न हो जाए।।
पल पल बीत रहा ये जीवन
कहीं ज़िंदगी की शाम न हो जाए
जो बातें करते रहे इधर उधर की
तुम, फिर कहीं देर न हो जाए।।
हर चीज़ का वक्त होता है
कहीं तेरा वक्त बीत न जाए
है मंज़िल खड़ी सामने तेरे
फिर कहीं देर न हो जाए।।
डर है किस बात का तुमको
अब तो दिल की बात कह दी जाए
जान जाओगे रज़ा उसकी
इससे पहले कहीं देर न हो जाए।।