कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
जिंदगी तेरे सफर में क्या-क्या न रह गया
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
बचपन था खुशनुमा वो खुशियाँ बटोरते थे
सपनों भरा वो बचपन गुमनाम रह गया
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
जवानियाँ वो खो गई मोहब्बत की आड़ में
टूटे दिलों का महबूब को पैगाम रह गया
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
उम्र का तकाजा हैं ये लड़खड़ाते हुए कदम
“V9द” अब बुढापा ही मेहमान रह गया
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
जिंदगी तेरे सफर में क्या-क्या न रह गया
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया