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12 May 2020 · 1 min read

कहिएगा ज़रूर।

कुछ मेरी सुनिएगा ,
कुछ अपनी सुनाइएगा,

ज़िदगी एक जश्न है दोस्त,
इसे दिल खोलकर मनाइएगा,

हो जो कोई नई ताज़ी,
तो मुझे भी बताइएगा,

छोटी-छोटी बातों को,
दिल से ना लगाइएगा,

शिकायत कभी मैं करूंगा नहीं,
बेशक मुझसे रूठ जाइएगा,

बस इतना मान रखिएगा मेरा,
कि आऊं मनाने तो मान जाइएगा,

किसी मोड़ पर मन जो हटने लगे,
कभी शब्द मेरे जो खटकने लगें,

दिल करे जो जाने का,
फिर लौट के कभी ना आने का,

एहसान होगा बस इतना मुझ पर ,
कि नज़रअंदाज़ मत कर जाइएगा,

जाने से पहले कुछ “कहिएगा ज़रूर”,
बस यूं ही ना चले जाइएगा।

कवि-अंबर श्रीवास्तव

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 396 Views
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