*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)
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कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
1
मौसम नया-नया पेड़ों पर, नई पत्तियॉं आईं
हॅंसते हैं मॅंडराते भौंरे, कलियॉं मृदु मुस्काईं
नया चलन है नई गंध का, धरती का कण-कण चंदन
2
भीतर-भीतर नए रसायन, बनने का क्रम जारी
नए प्रयोगों के करने पर, अब कब पहरेदारी
अधुनातन अंदाज लिए, गाती मादक प्रिय मंद पवन
3
हौली-हौली-सी हलचल है, चंदा और सितारों में
प्याला मधु का भरा हुआ, नभ के कोषागारों में
इस माह स्वयंवर में रति ने, कामदेव का किया चयन
4
एक माह बढ़हार चलेगी, पाणिग्रहण का फल है
सृष्टि आज उन्मत्त हुई जो, कब हो पाई कल है
आशाओं के स्वप्न पल रहे , उन्मादित है अंतर्मन
कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
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बढ़हार = विवाह के उपरांत दिए जाने वाले प्रीतिभोज
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451