कहानी
मेरे एक मित्र हैं जो मुंबई में रहते हैं। एक सरकारी उपक्रम से सेवानिवृत हो चुके हैं। स्वनामधारी कवि , लेखक हैं। साथ ही साथ वे कवि सम्मेलन करवाने के ठेके पट्टे भी लेने में निपुण हैं। छोटी मोटी रकम लेकर , छोटे मोटे मंच सजाते रहते हैं। उनका मानना है की छोटे आयोजन ही बड़े आयोजन की किवाड़ खोलने का कार्य करते हैं अतः कोई भी आयोजन छोटा नहीं होता यदि आप उसको सीढ़ी की तरह उपयोग कर सकें।
उनकी कवि मंडली भी बंधी बंधाई है। सब प्रकार के रचनाकारों को उन्होंने अपने अस्तबल में रखा हुआ है। जिस आयोजक को जैसा चाहिए वैसा रचनाकार वे प्रस्तुत कर देते हैं। रुपयों का महत्व तो रहता ही है। जैसा पैसा वैसे रचनाकार सप्लाई किए जाते हैं।
उन्होंने कुछ नियम बनाए हुए हैं जिसका पालन करने वालों को ही वे अपने साथ मंच पर ले जाते हैं। रचना रटी रटाई होनी चाहिए। कोई पर्चा नहीं , कोई सेल फोन नहीं।प्रैक्टिस करो , आवो सुनाओ , लिफाफा ले अपने घर जाओ। खाना तो अमूमन रहता ही है। सुरापान का इंतजाम हो जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है। और सबसे पवित्र नियम एक है की कोई भी कवि आयोजक के आसपास नहीं फटकेगा। आयोजक एक पवित्र और दुधारू गाय है जिससे सिर्फ ठेकेदार ही संवाद कर सकता है।
ऐसे ही किसी एक आयोजन में वे अपने एक विभागीय मित्र को लेकर गए। मित्र उनके उपर काफी समय से दबाव डाल रहे थे की उनको भी मौका दिया जाय। सो मौका दिया गया।
किंतु मित्र गुरु घंटाल निकले। वे भी वाक पटु हैं। उन्होंने आयोजकों में से एक को पकड़ा और उससे गुटर गूं करने लगे। मेरे कवि ठेकेदार मित्र व्यवस्था देखने में व्यस्त थे। उनका ध्यान इस तरफ नहीं था किंतु उनके पालतू कवियों को सब दिख रहा था उनमें से एक ने जाकर कवि ठेकेदार के कान में फूंक दिया।
उन्होंने बाकी का सब काम छोड़ा और तुरंत गुटर गूं वाली जगह पहुंच गए। आयोजक से कहा इनसे कुछ जरूरी काम है। ठेकेदार जी अपने मित्र को लगभग एस्कॉर्ट करते हुए रिजॉर्ट के एक टेबल पर ले गए।वेटर से कहकर एक बोतल सुरा और कुछ चखने का ऑर्डर दिया तथा उनको चेतावनी दी की आप यहीं बैठकर एंजॉय करिए जब कवि सम्मेलन की शुरुआत होगी तब आपको बुला लिया जाएगा। वे और गड़बड़ न कर सकें इसके लिए दो कवियों को उनके साथ लगा दिया गया।
कवि सम्मेलन हुआ। अच्छा हुआ। कवि महोदय ने भी अच्छा काव्य पाठ किया। सराहे गए। लिफाफा मिला।
किंतु दोबारा उनको फिर कभी मेरे मित्र ने उन्हे मंच नहीं दिया। उनका कहना था की दुर्घटना से सावधानी भली।