कहानी
कहानी-बाढ़
————–
सूरज निकलने वाला ही था कि बारिश रिमझिम शुरू हो गई| दोपहर होते-होते बारिश विकराल रूप धारण कर ली चारों तरफ बादल में गड़गड़ाहट बिजलीओं की लपटें, ऐसा प्रतीत होने लगा आज बादल ही फट जाएंगा, कोई भी व्यक्ति घर से बाहर न निकल सका, इतने में रेडियो पर फरमान सुनाया गया की आज अधिक बारिश होने के कारण पुराने बांध का पानी खोला जा रहा है ,सभी क्षेत्रवासी उचित सुरक्षित जगह पहुंचने का कष्ट करें, मुगरी चाची यह सुनकर रोने लगी उसकी पूरी छत टपक रही थी, इतने में दीवाल का पिछला हिस्सा ढह गया मुगरी चाची और रोने लगी ,एक बेसहारा विधवा संतान विहीन आखिर अब क्या करें कौन सहारा बने यही सोच कर बहुत रो रही है, देखते देखते नदी नाले नहर सड़क के ऊपर गली मोहल्ले में पानी घुसने लगा ,अब चाची जाए तो कहां जाए, चाची की आवाज सुन रास्ते में जा रही भीड़ से एक नवयुवक (राशिद) डंडे के सहारे मदद करने के लिए मुगरी चाची के पास आया ,चाची रो मत चलो चलते हैं ,हां लल्ला… भगवान तुझे बहुत बड़ा बनाएं ,चाची अपने पास एक झोला भी लिया उसमें अपना चश्मा अपने पति की तस्वीर तथा कुछ गहने, पानी का बहाव अधिक होने के कारण चाची फिसल कर सभल जाती है लेकिन झोला हाथ से छूट जाता है ,झोला पकड़ने के लिए राशिद बिना कुछ सोचे आगे बढ़ गया रास्ते का सही अनुमान ना होने से बगल के नाले में गिर जाता है ,और झोला पकड़ कर बहने लगता है, काफी दूर चला गया यह देखकर चाची उसे चोर चोर कहने लगती है ,इतने में बाढ़ राहत दल चाची को सरकारी टेंट मे ले जाते हैं, राशिद बह करके दूसरे गाँव पहुंचा मल्लाहओ की मदद से राशिद को बचाया गया, उसके हाथ में झोला देखकर पुलिस प्रशासन को खबर दिया गया, प्रशासन आकर के राशिद के प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार के लिए सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य टेंट में उपचार के लिए ले जाते हैं ,चाची के दिए बयान रिपोर्ट के आधार पर पुलिस राशिद को पकड़ने में सफल हुई ,चाची को बुलाया जाता है पहचान के लिए राशिद का बयान सुनकर के चाची शर्मिंदगी महसूस करती है, राशिद की बहादुरी सुन करके चाची के आंखों में आंसू आ जाता है ,चाची के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है ,चाची के पति की तस्वीर जो चाची को मिल जाती है, चाची सबके सामने राशिद को अपना दत्तक पुत्र मानती है सब कुछ ठीक हो जाने पर चाची सारी संपत्ति अपने राशिद पुत्र के नाम करके उसी के संग रहने का फैसला सुनाती है ,राशिद भी बिना मां बाप का था ,वह भी किसी के यहां नौकरी किया करता था, अब राशिद के खुशी का ठिकाना ना रहा ,उसे मां के रूप में जो चाची मिल गयी , चाची भी अत्यंत खुश है की बाढ़ के आड़ में उसे साहसी बहादुर इमानदार एक पुत्र मिल गया चाची पुलिस प्रशासन को धन्यवाद देती है,
— ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’
कोरांव प्रयागराज