कहानी संग्रह-अनकही
कहानी संग्रह-अनकही
कहानी- हंसुली
लेखक-आदरणीय डॉ अखिलेश चन्द्र
प्रकाशन-आयन प्रकाशन(महरौंला,नई दिल्ली)
पृष्ठ-१२४
कुल कहानियां-११
कीमत-२६०
समीक्षक -राकेश चौरसिया
मो.-9120639958
“हंसुली” प्रोफेसर “डॉ अखिलेश चन्द्र” जी की एक बड़ी ही उत्कृष्ट कहानी है, जिसे “अनकही” नामक “कहानी संग्रह” में संकलित किया गया है। इसे पढ़ने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि लेखक ने समाज में हो रहे गतिविधियों को कितनी नजदीक से पढ़ने का प्रयास किया है। हमारी सोच, हमारी विचार धाराएं, रुढ़िवादी परम्परा ये किस तरह से मनुष्य के हृदय तल पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफल है! जिससे हमें पहले भी, अब भी बाहर निकल पाना आसान नहीं है। लेखक ने जिस तरह से इस कहानी के मार्मिकता से हमें रूबरू कराने का प्रयास किया है। “हंसुली” एक ऐसे गरीब परिवार की कहानी है जोकि अपने रूढ़िवादी परंपराओं के लिए परिस्थितियों को आईना दिखाती है। उसी परंपराओं को तोड़ने का एक अथक प्रयास भी किया जाता है।
“हंसुली” कहानी समाज के गतिविधियों का बड़ी ही बारीकी से संस्मरण कराती है और समाज में पल रहे कुचलन पर व्यंग कसती है।”माया” ने तो इकलौती बहू होने के नाते पुश्तैनी निशानी “हंसुली” को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली, लेकिन “माया” अपने दोनों बहुओं को मना न पाने की वजह से यह मामला पंचायत में जाता है। जिसमें “माया” की बड़ी “बहू रीता हंसुली” पर अपना और “छोटी बहू नीता” अपना हक मानती हैं। लेकिन जब पंचायत में इस बात पर फैसला हो जाता है कि “हंसुली” छः छः माह दोनों बहुओं के बीच में रहेगी, तब “माया” ने पंचायत में एक यह भी प्रस्ताव रखकर सभी को चौका दिया कि संपत्ति के बंटवारे के बाद हम दोनों का भी बंटवारा कर दिया जाए, कि हम दोनों किसके पास और कैसे रहेंगे। तब पंचायत ने बड़ा ही सूझ-बूझ का परिचय देते हुए एक ऐसा फैसला सुनाया कि जैसे “हंसुली” छः छः माह दोनों “बहुओं” के बीच में रहेगी वैसे ही जिस छः माह “हंसुली” जिसके पास रहेगी मां “माया” और पिता “बांके” भी उसी के साथ क्रमशः छः छः माह रहेंगे। इस फैसले के बाद “अरुण, वरुण, रीता, नीता” ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया। इस प्रकार परिवार में क्रमशः छः छः माह तक “हंसुली”, “माया और बाके” का स्थानांतरण “रीता और नीता” के बीच तब से अब तक जारी है।
“हंसुली” नाटक का मंचन राष्ट्रीय स्तर पर सफलता पूर्वक होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका मंचन होना साहित्य जगत के साथ-साथ साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों के लिए एक गर्व का विषय है। प्रस्तुत कहानी पर समीक्षा लिखते हुए हमें इस बात का पूर्ण आभास था। आपका हंसुली नाटक नई-नई कीर्तिमान” स्थापित करें तहे दिल से आपको इसके लिए पुनः “बधाई एवं शुभकामनाएं।