कहानी रिश्तों की
दिनांक 31/5/19
प्रारम्भ है तो अंत है
जन्म है तो मृत्यु है
एक है रिश्ता दोनों के बीच
इन्सानियत मोहब्बत का
अगर निभा सको तो
सफल जीवन है
हो शुरूआत हर काम की
ले के प्रभु नाम
संकट सब टल जाऐंगे
सफल होंगे काम
ऐसे भी न मोड़ो दोस्तों
ज़िम्मेदारियों से मुँह
जिम्मेदारी अपनी
उठाओगे नहीं आप
तो करोगे किससे उम्मीद
शुरू की है जिंदगी अपनी
तो आगाज भी करो आप
ताश के पत्तों सी है जिन्दगी
खेल की होती है शुरूआत
एक समान सवारी पर
खत्म होता है खेल
जीत हार की बाजी पर
और क्या लिखूं
जिंदगी तेरे बारे में
जब शुरू होती हो तू
अंत होता ही है
फिर क्यो डराती है तू मौत से
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल