कहानी माँ यमुना की
कहानी माँ यमुना की
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पीर कहाँ यमुना मैया की ,इसके लालों ने है जानी ?
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।
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सूर्य सुता छाया है माता , यम की बहिन यमी थी प्यारी ,
शनिदेवा से भ्राता इसके ,बहना सबकी बड़ी दुलारी,
भेदभाव करती थी छाया, यम ने उसको ठोकर मारी ,
श्राप दिया छाया ने यम को , पाँव गँवाये पीड़ा भारी ,
देखा यम का हाल यमी के, झरा नयन से झर-झर पानी ।
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।(१)
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बहुत घोर तप किया यमी ने ,यम को उसने पैर दिलाये,
बनेे काल के देवराज यम,नहीं यमी से मिलने पाये,
दिया यामिनी रूप यमी को, सूर्य देव मन में हरषाये,
याद भ्रात की करे यामिनी, पल- पल अविरल अश्रु बहाये,
अश्रु बने श्यामल जल धारा, कहलायी यमुना महारानी ।
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।(२)
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हरी मिलन की करे प्रतीक्षा, यमुना भारत भू पर आई ,
द्वापर में जेलों में जन्मे , मात देवकी कृष्ण कन्हाई,
चले पिता वसुदेव कृष्ण को, छबड़ा में यमुना उफनाई ,
छू के चरण प्रभू के यमुना, मगन हुई मन में हरषाई ,
वरण किया प्रभु ने माता का , कहलाई यमुना पटरानी ।
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।(३)
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यमुना जी के तट पर खेले, ग्वाल बाल सँग कृष्ण कन्हैया ,
वंशी की धुन श्याम सुनाये, सुने मगन हो यमुना मैया ,
रास रचाये कालिन्दी तट, नाची राधा ता तिक थैया ,
खेलेे कूदे कृष्ण मुरारी , और चराई श्यामल गैया ,
यम आये मिलने बहना से ,गाथा ऐसी सुनी बखानी।
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।(४)
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घर का कूड़ा-करकट सारा, हमने इसमें भर-भर डाला ,
नाले-नाली खोल दिये सब, बना दिया यमुना को नाला ,
श्यामल नीर मृदुल माता का, किया प्रदूषित गंदा काला,
अपने वैभव के कोषों पर ,अपने हाथ जड़ दिया ताला,
बढ़ जाते चुपचाप देख कर, शर्म न आई शर्म न आनी ।
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।(५)
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जाग उठा है ब्रज मंडल अब, नाला कोई नहीं गिरेगा ,
दूर प्रदूषण होगा सारा , कूड़ा-करकट नहीं बहेगा ,
पेड़ कदम्ब उगेंगे तट पर, माँ का रूप पुनः निखरेगा ,
फिर से कूकें कोयल डाली, वंशी की धुन तट गूँजेगा ,
लहरायेगा यमुना जी की ,धारा में फिर निर्मल पानी ।
सुनो- सुनो ऐ दुनिया वालो, माँ यमुना की अमर कहानी ।।(६)
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-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
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