कहानी – चाकू जो एक क्राइम कहानी हैं
कहानी = चाकू एक क्राइम कहानी
और अपने हर रोज के क्रिया में लग गई इस बीच वो अपने बेटे को देखने गई और दरवाजा आराम से खोलकर वहीं से देख ली वो सोची मेरा बेटा समीर सो रहा है जब कि सोते बच्चे का गला काट कर (रीना किलर्स) समीर की मौत का निंद सुला चुकी थी और उपर से चादर ओढ़ा दी थी। मालती दरवाजा पर से ही समीर को देखकर वापस होकर अपने घरेलू काम में लग गई। उधर मालती के पति भी अपने पत्नी के छोटे मोटे कामों में हाथ बटा रहा था और वापस में बातें भी कर रहा था कि कितना ख़राब माहौल हो गया है ना जाने वो कौन है और आगे वो किसका शिकार कर मौत देगा दोनों मियां बीवी वापस में तरह तरह के बातें कर सुबह के सात बज चुका था और अब अपने पत्नी से कहा कि आज कुछ अच्छा बनाओ जो जी भर खाया जाय जब से ये मौत का तांडव शुरू हुआ हैं उस दिन से पेट भर खाना नहीं खाया ना जाने कब मौत अपने पास बुला लें इस पर मालती बोली ये क्या अनाप शनाप सुबह सुबह बोल रहे हैं भगवान करे अब किसी के साथ ऐसा न हो जिसके साथ ऐसा होता है वही जानता है, हे भगवान हम सब कि रक्षा कऱो हम सब आपके शरण में हैं फिर मालती के पति बोले ठीक है तुम नाश्ता बनाओं तब तक मैं बाहर का हाल समाचार लेके आ रहा हूं और जे के जी से भी मिल लूंगा और नाश्ता बनाने के बाद समीर को जगा देना आज बाप बेटा मिलकर नाश्ता करेंगे। मालती का पति बाहर गया और मालती नाश्ता बनाने में मस्त हो गई और पति, बेटे का पसंद का नाश्ता बनाकर जा रही थी बेटे को जगाने की उसी समय डोर बेल बजी और मालती वापस आकर दरवाज़ा खोली तो सामने पति खड़ा मालती बोली आ गए आप और दोनों घर के अंदर गया और मालती के पति पुछा क्या बनाई हो नाश्ता तो मालती बोली समीर के लिए गाजर का हल्वा और आप के लिए पकौड़े और खुद के लिए पति ने मालती को तो वो बोली आप दोनों का ही पसंद तो मेरा पसंद है,तो ठीक है जल्दी नाश्ता लगाओ तब तक मैं हाथ मुंह धो लेता हूं। मालती ठीक है कहके नाश्ता लगा के मालती टेवल पर रखी और अपने बेटे को जगाने गई और नजदीक में बैठ कर दुलार से समीर को जगाने लगी उठ मेरे लाल आज तुझे कितना निंद आ रहा है चल देख मैं तुम्हारे लिए गाजर का हल्वा बनाई है। मालती दुलार की बोली बोलती रही पर समीर के ओर से कोई हरकत नहीं हुआ। उधर समीर का पापा नाश्ता आगे टेवल पर रखा अपने बेटे का इंतजार कर रहा है और मालती को आवाज दे रहा है की समीर को जल्दी लें आओ मुझे गाजर की हल्वा और पकौड़े देख रहा नहीं जाता और वही से अपने बेटे को जगाने वाला आवाज दिया कि मेरे लाल आज तु जल्दी आजा कल से नहीं जगाऊंगा। उधर मालती फिर से समीर को जगाने लगी जब समीर के ओर से कोई हरकत नहीं हुआ तो मालती ने चादर हटाई और एक ही बार चिल्लाई फिर बेहोश हो गई समीर के पापा क्या हुआ मालती कहके जैसे ही घबरा कर उठा की सारे नाश्ता और पानी टेवल से निचे गिर गया गिरा हुआ नाश्ता छोड़कर मालती के पास पहुंचा तो जो वहां का दृश्य देखा तो वो सन्य रह गया और कुछ देर बाद वो बिलख बिलख कर रोने लगा मालती के पति का रोना एक सुना दो सुनाई तीन चार सुनते ही फिर सोसायटी में अफरी तफरी मच गया और पुलिस कमिश्नर की गाड़ी सायरण बजाते हुए पांच सात गाड़ी पहुंच गया, मिडिया वाले पहुंच गया, पर ये सब पहुंच कर सिर्फ हल्ला ही कर सकता। कत्ल करने वाले बच्चे को गला रेत कर मौत का निंद सुला चुका था। पुलिस बल इधर उधर मालती के घर के कोने कोने एक एक चीजें हटा कर सबुत ढ़ुढंने की कुछ कुछ कोई भी सुराग मिले ताकि कातिल को पकड़ने में मदद मिल सके। आयें लोगों ने मालती के मुंह पर पानी मारकर होश में लाता और मालती फिर बेहोश हो जाती सुबह का आठ बज रहा था सावित्री देवी आई वो भी मालती के सेवा में लग गई सभी लोग पुलिस बल को कोसने लगा। तभी बिमार जैसे हालत बना जे के मालती के घर पहुंचा और पुलिस कमिश्नर को फटकारने कहने लगा पता नहीं क्या कर रहे हैं आप लोग यहां पर हम लोगों का दिन पर दिन मुश्किल होते जा रहा है और आप लोग अभी तक कातिल को पकड़ने में नाकाम हो रहें हैं हम लोगों का एक एक पल अब खतरा से खाली नहीं है। सावित्री देवी अपने तिरछी नजरों से लोगों पर ध्यान दें रही थी और वो महसूस कर रही थी कि यहां पर सब लोग डरे हुए हैं। तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति हाथ में लाठी लिए मालती के घर पहुंचा। देखा मालती और उनके पति का हालत खराब है उसने भी अपने लड़खड़ाते बोली से पुलिस बल से अनुरोध किया कि कोई ठोस कदम उठाए ताकि कातिल पकड़ा जाए और पुरे सोसायटी भय मुक्त हो पुलिस कमिश्नर ने उनको भी आश्वासन दिया कि हम पुरा कोशिश कर रहे हैं कातिल को पकड़ने कि। मालती के घर में जो लोग पहुंचे तो घर आदमी से भरा था उसी में से किसीके पैर लगने से कचरे का डस्टबिन का ढ़क्कन ढ़ेडा हो गया जिसमें वो कातिल लड़की रीना गुवारा ग्लब्स निकाल कर फेंक दी थी वो ग्लब्स का एक एक उंगली थोड़ा बाहर निकला हुआ था जिस पर उस बुजुर्ग की नजर गया तों बुजुर्ग ने पुलिस कमिश्नर को कहा कमिश्नर साहब वो देखिए क्या लटक रहा है उस डस्टबिन में सब चौका और सबका ध्यान उस डस्टबिन पर जाकर रुक गया कमिश्नर ने स्वयं उठा और जाकर जैसे ही डस्टबिन का ढ़क्कन हटाया की वो पुरा ग्लब्स सबके सामने चमकने लगा। और उस ग्लब्स पर थोड़ा खून भी लगा था पुलिस कमिश्नर ने तुरंत उस ग्लब्स को लेकर डॉक्टर लायब्रेरी में भेज दिया पर जे के को थोड़ा सा भी घबराहट नहीं हुआ। उल्टा वो बोला कमिश्नर साहब जल्दी से इसका चांच करबाइए। पुलिस कमिश्नर ने कहा कल सुबह तक मैं इसका रिपोर्ट आप सब को दें दुंगा हां याद रहे कि जब तक इस ग्लब्स का रिपोर्ट नहीं आता और जब तक मैं सबको चेक नहीं करवा देता तब तक आप कोई भी शहर से बाहर नहीं जाएंगे नहीं तो शक का पोटली उसके सर रख दिया जाएगा और फिलहाल उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा इसलिए आप सब सब पर नजर रखें क्योंकि मामला एक दो नहीं पुरे बारह लोगों की मौत का हैं और आप लोग पुरा चौकन्ना रहीए जिस पर शक हो चाहे वह आपके परिवार का कोई शख्स क्यों न हो हमें तुरंत खबर किजिए और हम आपके पास पांच से दस मिनट में पहुंच जाएंगे सबने पुलिस कमिश्नर के बातों में हां में हां मिलाया और बच्चे की अंतिम संस्कार के लिए सब कुछ तैयार करने लगा और मालती के पति को सब लोग हिम्मत से काम लेने को कहा और वह वैसा ही किया वर्णा मालती को कौन सम्भावना पुलिस कमिश्नर सब लोगों से बात कर वहां पर छः पुलिस जवानों को वहां पर तैनात कर दिया और सब वहां से चल दिया। धीरे धीरे सभी लोग मालती को सांत्वना दें कर वहां से चला गया और सावित्री देवी कुछ देर और रुकी नाश्ता सब जो गीरा था उसको साफ़ करने लगी और मालती के घर के हर एक समान पर ध्यान देकर देखती पर उसे कुछ हाथ नहीं लगा। पुरा दिन ऐसे ही रोने और शोकाकुल अव्यस्था में बीत गया शाम को सावित्री देवी अपने ही घर से खाना बना कर लाई मालती और उनके पति को थोड़ा सा भी खाना खिलाने की प्रयास करने लगीं पर जिनका इकलौता बेटा मारा गया हो वो भी सोते समय गहरी नींद में जो अपने बचाव के लिए चिल्ला भी न सका उसके लिए तो आंह आना तों स्वाभाविक है। दिन ढ़ल गया शाम को सावित्री देवी फिर आके घर में दीया वाती कर फिर वो मालती के पति से बोला देखिए अब तो सब्र करने में ही फैदा हैं नहीं तो मालती बहन की हालत और खड़ाब हो जाएगा तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इस लिए आप को हिम्मत करना ही पड़ेगा। तों मालती के पति बोले कि सावित्री देवी जी कैसे मैं सब्र करु और क्या कहके मैं मालती को सब्र दूं। तो सावित्री देवी बोली अभी आप को और भी बच्चा तो हो सकता है ना तो मालती के पति बोले हां हों तो सकता है पर मालती नहीं चाहतीं थीं। पर अब वो दुवारा बच्चा चाहेंगी किन्तु अभी सिर्फ और सिर्फ सम्हलने का जरुरत है प्लीज आप मालती को सम्भाले और खाना खिलाने की कोशिश किजिए। खाना तो नहीं है सावित्री देवी जी और मुझे बनाने की हिम्मत नहीं। इस पर सावित्री देवी बोली आप खाना का चिंता न करें मैं अपने घर से खाना बना कर आप दोनों के लिए लाती हूं तब तक आप बहन मालती को सम्भालिएं। उधर वो गुवारा ग्लब्स को डाॅक्टर लायब्रेरी में दें कर पुलिस कमिश्नर ने कहा कि जब तक इस ग्लब्स का जांच कर रिपोर्ट नहीं दोगे आप सब डाॅक्टर लायब्रेरी बंद नहीं करेंगे कल हमें पुरे सोसायटी को एक एक कर सभी को बुलाना है और चेक कर उन सबको फ्री छोड़ना हैं क्योंकि किसी एक के जघन्य अपराध से पुरे सोसायटी के लोगों पर संकट और मुश्किलें बढ़ गया है । सभी डॉक्टर्स बोलें हां सर समाज का संकट को यदि हम अपना संकट ना माने तो ये हमारी मुर्खता होगी आप निश्चित रहिए बिना रिपोर्ट तैयार किए हम सब लायब्रेरी बंद नहीं करेंगे। पुलिस कमिश्नर खुश हो कर सब डॉक्टरों को धन्यवाद दिया और वहां से चल दिया चारों तरफ पुलिस कमिश्नर डी आई जी के गाड़ी चक्कर काट रहा था चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था एक अजीब सा डरावना माहौल हो गया था पुलिस गाड़ी की सायरण अपनी आवाज से दिशा गुजा रहा था छः पुलिस वाला जो वहां पर ड्यूटी दें रहा था वो अपने बड़े आॅफिसर को वाड़लेष से मैसेज दिया कि सर यहां पर सब बहुत डरा हुआ हैं आप कुछ और जवानों को भेजिए पुलिस कमिश्नर ने तातकाल दस और पुलिस बल भेज दिए। उधर सावित्री देवी अपने घर गई मालती और उनके पति(मनू) के लिए खाना बनाने और इधर जे के पुलिस बल से प्रमीशन ले कर मालती के घर पहुंचे और झुठी तसल्ली देने लगा और कहने लगा कि कितने बेरहम इंसान हैं वो उसे थोड़ा सा भी दया नहीं आया उस सोते हुए बच्चे पर से भगवान तु भी अजीब खेल रचता है मैं मरने बाला था सो बच गया और जो मरने बाला नहीं था वो मारा गया क्या तुम्हें भी दया नहीं आया तरह तरह के झुठी तसल्ली देकर जब वो जाने के लिए मुड़ा की एक भंयकर ज़हर भरा मुस्कान दिया जिससे सावित्री देवी ने देख लिया वो खाना लेकर आ रही थी मालती और उनके पति को थोड़ा सा भी खिला कर मन को बदलने के लिए। सावित्री देवी को जैसे ही जे के ने देखा कि फिर वो बिमार जैसे हालत बना लिया और सावित्री देवी से कहा जाओ सावित्री थोड़ा उन दोनों को सम्भालों बड़ी बिपत आन परा हैं उन्हें अभी सहारे की बहुत जरूरत है और तुम्हारा मालती का तो जमता भी बहुत है सो अभी तुम उनको सम्भालों।तो सावित्री देवी और उनका डुप्लिकेट पति सागर ने जे के के बातों में हां में हां मिलाया और कहा आप चिंता न करें हम मालती को सम्भालने की पुरा कोशिश करेंगे तो जे के अच्छा अच्छा कहके आगे अपने घर के तरफ बढ़ गया और सावित्री देवी और उनका डुप्लिकेट पति (सागर) मालती के घर पहुंचने से पहले सावित्री ने अपने डुप्लिकेट पति(सागर) से पुछा कि तुमने कुछ देखा तो डुप्लिकेट पति सागर ने कहा यही तो मैं तुम से पुछने वाला हूं कि जे के को मुस्कुराते तुम ने देखा तों सावित्री ने कहा हां मैं भी जे के को मुस्कुराते हुए देखा तो सागर इसका क्या कारण हो सकता है तो सागर ने कहा इसका मतलब तो ये साफ है कि जे के अंदर से कुछ और, और बाहर से कुछ और है। तो सावित्री देवी ने कहा तुम ठीक कहते हो मेरे डुप्लिकेट पति देव। दोनों ने बात को यहीं पर समाप्त किया और मालती के घर में प्रवेश किया तो दोनों को उसी अवस्था में देखा जिस अवस्था में सावित्री देवी मालती को छोड़कर गई थी। सावित्री और सागर मिलकर थाली धोकर खाना लगाया और पहले मालती के पति(मनू) जी से बोले खाने के लिए तो मनू जी मना कर दिए तो सागर ने मनू जी से कहा आपको कुछ न कुछ खाना ही होगा वो भी मालती बहन के सामने ताकि उनको भुख का एहसास हो और खाना देखकर खानें की इक्क्षा जागे क्यों की मालती बहन का भुख मर गया है। आप को अपने पत्नी मालती के लिए खाना होगा। तो मनू जी हां के लिए सर हिलाया की सागर पानी लेके और सावित्री देवी खाना लेकर तुरंत आ गया। और मनू जी को खाना दिया जो खाया नहीं जा रहा था तो सावित्री ने कहा मनू जी आप खाना खा लिजिए और मैं जो पुछती हूं उसका सही सही जवाब दिजिए तभी तों मैं आपको या इस सोसायटी को अब होने वाले मर्डर से बचा पाएंगे। आपको पता है कि हम दोनों कौन है। ये बातें सुनकर मनू जी चौका
और पुछा आप दोनों कौन है तो सागर ने कहा हम दोनों क्राइम ब्रांच के आॅफिसर है हम दोनो पति-पत्नी नहीं है