“कहानी (कहनी)”
सदा दिन ले कहानी के जरी म सत, धरम अउ नियाव के बात रइसे। जिनगी घलो तो एक कहानी आय। मनखे ल अतका मिहनत तो जरूर करना चाही के ओकर नवा पीड़ही ह ओकर संघर्ष, हउसला अउ जज्बा ले प्रेरना ले सकय। नइ तो जिनगी अबिरथा हो जाथे। अही तो कहानी ल दिलचस्प बनाथे। ओइसे भी शरीर म खून के जो मायने होथे, ओही मायने कहानी म भावना (इमोशन) के होथे। धियान देहे के बात ए आय :
अगर तैं हीरो नइ हस अपन कहानी म।
तव तैहाँ कुछ नइ करे अपन जवानी म।।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।