कहां है ?
भर सके मेरे जख्मों को ऐसा कोइ मरहम कहां है
वो शर्माते है
नखराते है
कुछ इस तरह
तड़पाते है
मेरी ख्वाहिशों पर तरस खाये ऐसा रिवाज़ ए रहम कहां है
मेरे संग घूम ले
वो मुझको चूम ले
गुजरने वाला मौसम
वो मेरे संग झूम ले
बस ये सपने भी मेरे अधुरे से इतना मेरे महबूब में दम कहां है
उनकी ऐसी मगरूरी है
कहते है की मजबूरी है
नेन मिले सब राज खुले
पर दिल से दिल कि दूरी है
पीकर जहर अब उनको भुलाना है ऐसा कर सके अब वो रम कहां है