Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2022 · 1 min read

कहां से लाए अल्फाज़।

कहां से लाए अल्फाज़ जिन्दगी तुझको बयां करने का।
तुम बात करते हो छत की यहां ना हैं आसमां सोने का।।1।।

किससे करे उम्मीद ए वफ़ा हम पाने की इस जिंदगी में।
सबका ही अंदाज है बस हमारी दिल ए जां दुखाने का।।2।।

कहां से हम चले थे और सफर में तन्हा कहां आ गए है।
हमारे साथ बहुत से लोगों से भरा था कारवां चलने का।।3।।

सोचा था फिर से नए सफर का अच्छा आगाज करेंगे।
लो वक्त भी ज़ालिम आ गया हमारा जनाजा उठाने का।।4।।

जब सूख गई सारी फसलें खेतो की सब किसानों की।
तब आया बेदर्द बादल झमझमा कर आब बरसाने का।।5।।

बड़ी नाजों से पाल-पोस करके बड़ा किया था बेटी को।
रोना कैसा यहां तो रिवाज़ है दुख्तर को विदा करने का।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

97 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all

You may also like these posts

अनुपम उपहार ।
अनुपम उपहार ।
अनुराग दीक्षित
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
When nothing works in life, keep working.when everything see
When nothing works in life, keep working.when everything see
पूर्वार्थ
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
अभिनव छंद
अभिनव छंद
Rambali Mishra
मेरा वजूद क्या
मेरा वजूद क्या
भरत कुमार सोलंकी
अभिनन्दन बहु का
अभिनन्दन बहु का
Dr Archana Gupta
🙅समझ सको तो🙅
🙅समझ सको तो🙅
*प्रणय*
'चाह' लेना ही काफ़ी नहीं है चाहत पूरी करने को,
'चाह' लेना ही काफ़ी नहीं है चाहत पूरी करने को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"वो बचपन के गाँव"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा पंचक. . . . सावन
दोहा पंचक. . . . सावन
sushil sarna
मज़हब ही है सिखाता आपस में वैर रखना
मज़हब ही है सिखाता आपस में वैर रखना
Shekhar Chandra Mitra
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बात शक्सियत की
बात शक्सियत की
Mahender Singh
जिसके लिये वो अंधा हुआ है
जिसके लिये वो अंधा हुआ है
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सब्र की मत छोड़ना पतवार।
सब्र की मत छोड़ना पतवार।
Anil Mishra Prahari
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
VINOD CHAUHAN
Why always me!
Why always me!
Bidyadhar Mantry
विकास
विकास
Shailendra Aseem
कलंक
कलंक
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
लिखते रहिए ...
लिखते रहिए ...
Dheerja Sharma
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
Rahul Singh
ए तीर चलाने वाले
ए तीर चलाने वाले
Baldev Chauhan
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
Rj Anand Prajapati
नशा मुक्त अभियान
नशा मुक्त अभियान
Kumud Srivastava
प्रशंसा
प्रशंसा
Dr fauzia Naseem shad
भाई दूज
भाई दूज
विजय कुमार अग्रवाल
नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
फूलों की तरह मैं मिली थी और आपने,,
फूलों की तरह मैं मिली थी और आपने,,
Shweta Soni
Loading...