कहां से लाए अल्फाज़।
कहां से लाए अल्फाज़ जिन्दगी तुझको बयां करने का।
तुम बात करते हो छत की यहां ना हैं आसमां सोने का।।1।।
किससे करे उम्मीद ए वफ़ा हम पाने की इस जिंदगी में।
सबका ही अंदाज है बस हमारी दिल ए जां दुखाने का।।2।।
कहां से हम चले थे और सफर में तन्हा कहां आ गए है।
हमारे साथ बहुत से लोगों से भरा था कारवां चलने का।।3।।
सोचा था फिर से नए सफर का अच्छा आगाज करेंगे।
लो वक्त भी ज़ालिम आ गया हमारा जनाजा उठाने का।।4।।
जब सूख गई सारी फसलें खेतो की सब किसानों की।
तब आया बेदर्द बादल झमझमा कर आब बरसाने का।।5।।
बड़ी नाजों से पाल-पोस करके बड़ा किया था बेटी को।
रोना कैसा यहां तो रिवाज़ है दुख्तर को विदा करने का।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ