कहां चला अरे उड़ कर पंछी
कहां चला अरे उड़ कर पंछी
मैं फिर होंगा हरा भरा
लौट आएंगी फिर से बहारें
फल फूलों से हरा भरा
वक्त सभी में आता है पंछी
कभी अच्छा कभी बुरा
देख पतछड़ तुम हो घबराए
मैं तुफानों से नहीं डरा
अपना घर ही छोड़ दिया तो
गैरों के पेट कहां भरा
विकट समय घबराना कैसा
सोच समझके रहो जरा
सच्ची कहावत कही किसी ने
जो कोई डरा वही मरा
कहां चला अरे उड़ कर पंछी
मैं फिर होंगा हरा भरा