कहां गयी वो हयादार लड़कियां
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
वो रुपपट्टे ओढ़े हुए लड़कियां
शर्म जिनका जेवर हुआ करता था
जिनकी परवरिश में
उनको सिखाया जाता था
बा अदब
बा नसीब
बे अदब
बे नसीब
और तब वो लड़कियां
कितनी खुद्दार हुआ करती थी
माँ और बाप से कुछ ना चाहना
ना कुछ माँगना……
बस ख्वाहिश होती थी
खुद को बहुत अच्छा बनाने की…
आगे बढ़ने की
पढ़ने की लिखने की
कुछ बन जाने की…….
परवाह नहीं थी महंगे महंगे कपड़ों की
सादे सूती कपड़ों में भी
ग़ज़ब की खूबसूरत दिखा करती थी….
खूबसूरत कुदरती लंबे लंबे
बालों वाली लड़कियां
ना कोई पार्लर ना कोई जिम्म
बला की सादगी लिये
अरे कहा गयी वो लड़कियां
जो अपने से बढ़ो का बहुत
एहतिराम किया करती थी
अपने से छोटे को भी
बहुत प्यार किया करती थी
देखते देखते वक़्त बदला
और सारी बाते खतम होती चली गयी
अब बस यादें है उस दौर की
जब लड़कियां कितनी मासूम हुआ
करती थी
दुनिया से बे परवाह हुआ करती थी
शर्म और हया की मिसाल हुआ
करती थी
घर आने जाने वालों के लिए
एक पैर खड़ी रहा करती थी
जो सब का ख्याल रखा करती थी
और खुद को कुछ भी नहीं समझा करती थी
बेहद लापरवाह वो प्यारी सी लड़कियां
हर बात पर बस खामोश रहने वाली लड़कियां
कहां गयी वो हम जैसी एहसास से भरी लड़कियां…..ShabinaZ