कहाँ गया बेदर्दी
******* कहाँ गया बेदर्दी *******
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कहाँ गया बेदर्दी,मन को तड़फा के
कहाँ गया बेदर्दी,दिल को तरसा के
खुली हुई आँखो में ख्वाब सजाए थे
कहाँ गया स्वप्नकार स्वप्न दिखा के
मन मन्दिर में मेरी तस्वीर बनाई
कहाँ गया चित्रकार तस्वीर चुरा के
प्रेम सागर में खूब गोते लगाए
कहाँ गया स्नेही स्नेह को जगा के
तन मन मेरा प्रेमरंग में रंग गया
कहाँ गया रंगसाज रंगो में सजा के
चाँदनी रातों में चाँद दिखाता था
कहाँ गया चंद्राकर चन्द्रमा दिखा के
सुखविंद्र दुखदर्द स्वयं हर लेता था
कहाँ गया हमदर्दी रंज में डूबा के
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)