कहाँ खो गया बचपन मेरा
कहाँ खो गया बचपन मेरा,
खुशियों का वो सुंदर डेरा,
आँगन में चिड़ियों का पहरा,
जन जन से रिश्ता वो गहरा,
सुबह सुबह की प्यारी धूप,
वो खेल निरालेे हम थे भूप,
कहाँ खो गया बचपन मेरा,
खुशियों का वो सुंदर डेरा,
जब आता गर्मी का मौसम,
उछल कूद करते खूब हम,
खुली खुली छतों पर सोते,
आसमान के सितारे गिनते,
कहाँ खो गया बचपन मेरा,
खुशियों का वो सुंदर डेरा,
जब हवाएं उड़ाती थी धूल,
खेल खेल में चुभते थे शूल,
घर के बाहर था एक जहान,
मिलती थी जहाँ सदा मुस्कान,
कहाँ खो गया बचपन मेरा,
खुशियों का वो सुंदर डेरा,
पेड़ पौधे पशु पक्षी देखकर,
खुशियाँ मिलती झोली भर भर,
सावन के झूले हम खूब झूलते,
मित्रों संग होली कभी न भूलते,
कहाँ खो गया बचपन मेरा,
खुशियों का वो सुंदर डेरा,
तीज त्यौहार की होती धूम,
आनन्द पाकर हम उठते झूम,
कहाँ खो गए वो सुनहरे दिन,
सूना लगता अब उनके बिन,
कहाँ खो गया बचपन मेरा,
खुशियों का वो सुंदर डेरा,
—–जेपीएल