कहर मोहबब्त का
कैसे कहे यारों कि कैसे जी रहे है।
महफिल में मुस्कुराकर छुप छुप कर रो रहे है
नीद ले गए, चैन ले गए
हाय और तो और दिल भी ले गए
फिर न जाने जां किस लिए छोड़ गए हैं।।
उन्हे लगता है कि हम उनके काबिल नहीं
शायद उन्हें। मोहब्बत की परख नहीं।
वो गुरूर वो अदा आज भी है उनमें
पर वो रहे किसी के लायक नहीं।।
इश्क का अंजाम हमें भी पता था
हमदर्द हि देगा दर्द इतना नहीं सोचा था।
हौठो से मुस्कुराकर वफा के आंसू दिल हि दिल में पी
रहे हैं।।
कैसे कहे यारों कि कैसे जी रहे हैं।@
✍️रश्मि गुप्ता@ ray’s Gupta