Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2019 · 1 min read

कहने को मै दलित हूँ,पर अब दौलत की महारानी हूँ -आर के रस्तोगी

कहने को मैं दलित हूँ ,पर अब दौलत की महारानी हूँ
भले ही मेरे आगे पीछे नहीं,अपने घर की पटरानी हूँ

भले ही मैं सदा कुवांरी रहूँ,पर ब्याहों से तो अच्छी हूँ
शादी करके क्या मिलेगा,मैं बिन ब्याह लेती मस्ती हूँ

रूप रंग है ऐसा मेरा,सब नेता लोग मुझ पर मरते है
मैं अपनी पार्टी की नेता हूँ,सब वर्कर मुझ से डरते है

कौन कहता है मैंने, एस पी से अपना हाथ मिलाया है
मैंने तो पहले से ही, बी एस पी में एस पी छिपाया है

अपमान में ही मान छिपा है,क्यों पुरानी याद दिलाते हो
मैं तो द्रोपदी बनी थी,क्यों दुश्शासन की याद दिलाते हो

कहने को मैं सूखी रोटी खाती हूँ पर रोज मालपूए खाती हूँ
इसलिए मालपुए खाने के कारण,सदा ही मस्ती में रहती हूँ

वैसे तो मैं दलित हूँ,पर ये सब कहने और दिखावे के है
मेरा हाथी खाता और किसी से वह तो दांत दिखावे के है

कहने को मै सीधी सादी हूँ,पर नोटों का हार पहनती हूँ
जब मेरा जन्म दिवस आता है मालामाल हो जाती हूँ

सी एम तो बन चुकी अब तो मैं पी एम पद की भूखी हूँ
वह पद तो मेरा अपमान था जिसको पहले छोड़ चुकी हूँ

आर के रस्तोगी

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
Rituraj shivem verma
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
सत्य कुमार प्रेमी
हर रोज याद आऊं,
हर रोज याद आऊं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
🙅Attention Please🙅
🙅Attention Please🙅
*प्रणय*
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
जिंदगी को खुद से जियों,
जिंदगी को खुद से जियों,
जय लगन कुमार हैप्पी
आज के युग के आधुनिक विचार
आज के युग के आधुनिक विचार
Ajit Kumar "Karn"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
वादी ए भोपाल हूं
वादी ए भोपाल हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कभी ग़म से कभी खुशी से मालामाल है
कभी ग़म से कभी खुशी से मालामाल है
shabina. Naaz
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
Neeraj Agarwal
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
Shweta Soni
बुंदेली दोहा -चपेटा संकलन - राजीव नामदेव राना लिधौरी
बुंदेली दोहा -चपेटा संकलन - राजीव नामदेव राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
Ranjeet kumar patre
कोई तो डगर मिले।
कोई तो डगर मिले।
Taj Mohammad
लगातार अथक परिश्रम एवं अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण से
लगातार अथक परिश्रम एवं अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण से
Rj Anand Prajapati
......... ढेरा.......
......... ढेरा.......
Naushaba Suriya
जातियों में बँटा हुआ देश
जातियों में बँटा हुआ देश
SURYA PRAKASH SHARMA
नजरें नीची लाज की,
नजरें नीची लाज की,
sushil sarna
"My friend was with me, my inseparable companion,
Chaahat
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
Meenakshi Masoom
चलो गांव को चले
चलो गांव को चले
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं (राधेश्यामी
*मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
प्रकृति और मानव
प्रकृति और मानव
Kumud Srivastava
ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं ,
ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं ,
Dr fauzia Naseem shad
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
शेखर सिंह
एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...