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28 Feb 2024 · 1 min read

कहने को तो जिन्दगानी रही है ।

न राजा रहा है न रानी रही है,
प्रजातंत्र की बस कहानी रही है,
नमन त्याग से जो करें देश सेवा,
ये जनता उन्हीं की दिवानी रही है,
ये जनता को है हक जिसे चाहे चुन ले,
पसंद अपनी अपनी पुरानी रही है,
नहीं छोड़ सकती वो अपना चलन है,
हवा की तो अपनी रवानी रही है।
हैं काफी फक़त चार पल ही सुकूं के
कहने को तो जिन्दगानी रही है ।

Language: Hindi
2 Likes · 56 Views
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