कहने को तेईस हैं,.दोहों के प्रारूप !
कहने को तेईस हैं,……दोहों के प्रारूप !
करे भावना व्यक्त हर, कवि.अपने अनुरूप !!
क्या मिलना उस शख्स से,मिल के आए लाज !
बजता हरदम बेसुरा ,….. फूटा जैसे साज !!
नारी की करता नहीं इज्जत जहाँ समाज !
वहाँ सफल होती नहीं, पूजा और नमाज !!
रमेश शर्मा.