कहना मत राज की बातें
किसी से भी हो कितनी, चाहे दोस्ती यहाँ तेरी।
कहना मत राज की बातें,किसी से तू यहाँ तेरी।।
किसी से भी हो कितनी————–।।
कहेंगे दोस्ती में तो, दोस्त चलता है सब कुछ।
मैं तो लेकिन कहूंगा यह, हालत होगी बुरी तेरी।।
किसी से भी हो कितनी—————।।
मुझको भी था यहाँ यकीन, किसी पे इस तरहां ही।
कर दी उसने ही आखिर, बहुत बदनामी मेरी।।
किसी से भी हो कितनी————–।।
बताते हैं दोस्त कुछ लोग, लुटाते हैं दौलत अपनी।
नहीं ललचाना दौलत को,इज्जत नहीं रहेगी तेरी।।
किसी से भी हो कितनी————–।।
उनमें ही होंगे धोखेबाज, करीब जो बहुत हैं तेरे।
जुबां रखना खामोश ही, बन्द किताब हो तेरी।।
किसी से भी हो कितनी————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)