कहते हैं फौलाद जिसे….
कहते हैं फौलाद जिसे, अब उस ताकत को पहचानो!
सहनशीलता को भारत की अब कमजोरी मत मानों!!
लहरें समुंद्र की मचलती हैं तब लांघ सीमाओं को वे तूफान बन जाती हैं,
कोई बच पाता नहीं हैं इन लहरों से, दुनिया के लिए कोहराम बन जाती है!
जाती हैं खिसक बड़ी-बड़ी चट्टाने तब, जब ये लहर तूफानी टकराती हैं,
होता है बड़ा ही खौफनाक यारो मंजर वो, तबाही की नई परिभाषा बन जाती हैं!!
इसीलिए शीतल लहरों से, बैर नहीं कोई ठानों!
सहनशीलता को भारत की अब कमजोरी मत मानों!!
सोते हुए शेरों को जगाना अच्छी बात नहीं, शेर गर जागे कोहराम आ जाएगा,
शेर ने दहाड़ना शुरू किया तो जान लो ये, जर्रा-जर्रा कांपेगा, भूचाल आ जाएगा!
जानते हैं सब शेर लौटता ना खाली कभी, बिना खून पिए वह चैन नहीं पाएगा,
है ये सच बात जो भी सामने अगर आया, सिंह के जबड़ों का निवाला बन जाएगा!!
इसीलिए कहता हूं, शेरों की ताकत को पहचानों!
सहनशीलता को भारत की अब कमजोरी मत मानों!!
आपरेशन म्यांमार से दिया संदेश यही, उग्रवाद से न कभी हारे हैं न हारेंगे,
तुमने शहीद गर किए वीर बांकुरे तो, घुसके तुम्हारे घर में ही तुम्हें मारेंगे!
ईंट का जवाब पत्थरों देना जानते हैं, खून से तुम्हारे मां की मांग को संवारेंगे,
आंख जो भी उठी मां भारती की ओर, हम खाते हैं कसम वह आंख नोच डालेंगे!!
देंगे सही इनाम तुम्हारी करनी का तुम यह जानो!
सहनशीलता को भारत की अब कमजोरी मत मानों!!
–विपिन शर्मा