कहती है नदी
कहती है नदी
कहाँ मैं दूसरों की
प्यास बुझती थी
लोगों के मन को
निर्मल करती थी,
ज्ञान की धारा
प्रवाहित करती थी,
अब, मैं खुद ही
अपना शुद्ध पानी
देखने को तरसती हूँ
आँखों से सूखे
आँसू बरसाती हूँ।
मीरा ठाकुर
आबूधाबी
कहती है नदी
कहाँ मैं दूसरों की
प्यास बुझती थी
लोगों के मन को
निर्मल करती थी,
ज्ञान की धारा
प्रवाहित करती थी,
अब, मैं खुद ही
अपना शुद्ध पानी
देखने को तरसती हूँ
आँखों से सूखे
आँसू बरसाती हूँ।
मीरा ठाकुर
आबूधाबी