कहकर हर हर गंग
अपनी अपनी विवेचना को
कह कर वे सत्संग ।
तम सागर में हमें डुबाते
कहकर हर हर गंग ।।
धर्मार्थ प्रयोजित कालाधन
करे धर्म बदरंग ।
करें करोड़ों खर्च भ्रष्ट जन
कहकर हर हर गंग ।।
स्वयं भू भगवान सैकड़ों
लेकर चेले संग ।
भोली भाली जनता ठगते
कहकर हर हर गंग ।।
गली गली दरबार समागम
करते बाबा पुंग ।
खड़ी करें आकूत सम्पदा
कहकर हर हर गंग ।।
काले धन को करे सफेद
धर्माधीश दबंग ।
करबाते हैं कर की चोरी
कह्कर हर हर गंग ।