कस्तूरी (नील पदम् के दोहे)
कस्तूरी नाभि बसे, मृग न करे अहसास,
ज्ञान की कस्तूरी गई, बिना किये अभ्यास।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”
कस्तूरी नाभि बसे, मृग न करे अहसास,
ज्ञान की कस्तूरी गई, बिना किये अभ्यास।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”