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30 Dec 2017 · 3 min read

कस्तूरी की तलाश (विश्व के प्रथम रेंगा संग्रह की समीक्षा)

कस्तूरी की तलाश (विश्व का प्रथम रेंगा संग्रह) संपादक : प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
प्रकाशक : अयन प्रकाशन दिल्ली                                    प्रकाशन वर्ष – 2017
पृष्ठ – 149                                                                            मूल्य – ₹ 300
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                   गूढ़  अर्थ  ओढ़े  बेजोड़  रेंगा – संग्रह ”  कस्तूरी  की  तलाश  ”
                                       
                               समीक्षक : – सूर्यनारायण गुप्त “सूर्य”
                     
       हाइकु  सम्राट  श्री  प्रदीप  कुमार  दाश ‘ दीपक ‘ के  महनीय प्रयास  से संपादित भावभरित  सम्भवतः   विश्व   का   प्रथम हिन्दी  रेंगा -संग्रह ” कस्तूरी  की  तलाश “जो  मुझे  समीक्षार्थ  मिला , को  पढ़ने  का सौभाग्य  मिला । पढकर  मैं  धन्य  हो गया ।
                      जापान  से  चलकर  भारत के  साथ – साथ  विश्व  हाइकु  साहित्य के  आकाश में अपना  अमिट छाप छोड़ता हाइकु  का  ही  एक  आकार- प्रकार  ‘ रेंगा – छंद ‘ जो  दो  या  दो  से  अधिक  कवियों के  पूरक  सहयोग  से त्रिपदी  हाइकु  छंद 05 + 07 + 05  को  जोड़ते  हुए  इसमें  + 07 + 07  वर्ण – क्रम के जुड़ाव  से निर्मित पंचपदी  रेंगा  छंद  का  स्वरूप  धारण करते  प्रस्फुटित  होती  है । इसमें  एक व्यक्ति  द्वारा  रचित  हाइकु  छंद  में  दूसरा या   कभी – कभी      तीसरा    व्यक्ति ( साहित्यकार ) पूरक संदेशात्मक  पंक्ति 07 + 07  को  जोड़कर  रेंगा  छंद  का रूप  प्रदान  करता  है । इस  पूरक  जुड़ाव से  निर्मित छंद  जिसमें भावों  की संपूर्णता का  बोध  हो  तो  वही  छंद ही  ज्यादे शुद्ध व  ग्राह्य  माना  जाता  है ।

                           प्रतिभा  के  धनी  दर्जनाें कालजयी  कृतियों  के  रचयिता , अनेक सम्मानों  से  विभूषित , अनेक  साझा संकलनों  के  कुशल  संपादक – रायगढ़ ( छ० ग० )  के  निवासी , विश्व  प्रसिद्ध आदरणीय श्री प्रदीप कुमार  दाश ‘ दीपक’ जो  हाइकु  साहित्य  में  अपना एक अलग नाम  व  मुकाम  बना  चुके  हैं , निश्चय  ही बधाई  के  पात्र  हैं ।
                               
                    बदलते  साहित्य  के  परिवेश के  इस  नये -नये  प्रयोगवादी दौर  में इस कालजयी  संग्रह  के  सभी  रेंगा  छंद , जो इनके कुशल संपादन में  65 साहित्यकारों के  पूरक  सहयोग  से  संपादित  है। निश्चय ही रेंगा साहित्य के  लिए ‘ मील का पत्थर’ साबित  होगा । भावी  साहित्यकारों  का मार्ग – दर्शन  कराने  में  भी  पूर्णतः  सक्षम होगा ।  हाँ  यदा  कदा  संग्रह  में  कहीं – कहीं  वर्णों  की  सँख्या  में  घटाव – बढाव दिख  रहा  है ,  जो  मेरे  समझ  से  टंकण की  त्रुटि  हो  सकते  हैं । जिसे अगले संस्करण में  ठीक  कर  लिया  जाए तो  अच्छा  ही  होगा । वर्तमान  संस्करण में  शुद्धि – अशुद्धि  पत्र  भी  संलग्न  किए जा  सकते  हैं ।

          लौकिक / पारलौकिक  अर्थ  ओढ़े – ‘ सीप  में  मोती ‘  व ‘ गागर  में  सागर ‘  वाले  मुहावरे  को  चरितार्थ  करते  ये हृदयस्पर्शी , सारगर्भित रेंगा  छंद  जीवन के  मर्म – कर्म  व  धर्म  को  उजागर  करते प्रतीत  होते  हैं । इनमें  जीवन – दर्शन  के भी  बिम्ब  का  प्रतिबिंब  प्रतिबिम्बित  है । जीव  व  प्रकृति  तथा  देश – दुनिया  के संपूर्ण  शाश्वत  सत्य  का  कथ्य  व  तथ्य को  उकेरता  यह  रेंगा  संग्रह  ”  कस्तूरी की  तलाश ”  आप  को  यशस्वी  बनावे ।

     हाइकु  साहित्य – जगत  में  आपकी रचनात्मक  सक्रियता  श्लाघ्य  है । मैं आपके  इस  प्रतिभा  को  सम्मान  देते हुए  आपको  सलाम  करता  हूँ । ‘ सूर्य ‘ की  सतरंगी  करणें  आपके  जीवन – पथ को  सदा  आलोकित  करती  रहें । इसी कामना  व  भावना  के  साथ – साथ  आप व  पूरक  समस्त  सहयोगी  साहित्यकारों को  मेरी  ढेर  सारी शुभकामनाएँ ।

                                        सूर्यनारायण  गुप्त  ” सूर्य ”
                               ग्राम  व पोस्ट – पथरहट  ( गौरीबाजार )
                             जिला – देवरिया  ( उ० प्र० ) -274202
                           मो० 09450234855 , 07607855811

Language: Hindi
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