कसूर हो गया
नाजाने क्या ऐसा हमसे कसूर हो गया ।
जिसको गले लगा लिया वो दुर हो गया ।
मौसम के संग हम थे कभी खूब खिलते
बाहार आई पतझड़ की बेनूर हो गया।
हिसाब चाहता हूँ तुझसे मै ए जिदंगी
वक्त की पडी जो मार ये मजबूर हो गया ।
प्यार के बदले प्यार कभी मिला ही नही
जग का केसा ये अब मेरे दस्तूर हो गया ।
इस जिदंगी की दौड़ ने सब कुछ भुला दिया ।
लालच पैसो मे इतना मसरूर हो गया ।
न जानते थे कोई मुझे ना थे पास मेरे
मेहनत से आज मेरी मै मशहूर हो गया ।
मोहन को नफरतो ने सिखा दिया है सब
चाहत मे कितना तेरे मगरूर हो गया।