कसमसाना हो गया
कसमसाना हो गया
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ठोकर लगी जब राह में तो कसमसाना हो गया
फिर अनुभवों से सीखकर राही सयाना हो गया
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जिसके लिए आनंद था सब कुछ लुटाना कल तलक
कोई बताए आज क्यों दुश्मन जमाना हो गया
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वो अब कभी भी सामने से वार कर सकते नहीं
मासूम बन दिल तोड़ना ही अब बहाना हो गया
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जिसके बिना मुश्किल लगा करता था जीना एक पल
सब छोड़कर राही यहाँ से क्यों रवाना हो गया
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जब छा गए हैं आसमां पर बादलों के दल सघन
बिजली गिराने का समय कितना सुहाना हो गया
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क्यों जानकर अंजान बनना बात यह अच्छी नहीं
जिसके लिए दिल खोलकर खाली खजाना हो गया
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चाहत भरी उनकी निगाहों के दीवाने हम हुए
फिर क्यों हमारे प्यार में आँसू बहाना हो गया
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य