कष्ट मेरे हैं सखा …
कष्ट मेरे हैं सखा भला,
कैसे करदूं इनसे कुट्टी,
जीवन पथ पर छोड साथ,
सुख, जब कर देते छुट्टी
दुख ही देते साथ, गवाह
मेरी खटिया टुट्टी-टुट्टी
कष्ट मेरे हैं सखा भला,
कैसे करदूं इनसे कुट्टी ?
बिजली मैडम जब भी घर से,
होती नौ – दो – ग्यारा,
आले का दीपक ही करता,
घर मेरा रोशन सारा,
फिर भी कीमत बिजली की,
रहती है उट्ठी – उट्ठी,
कष्ट मेरे हैं सखा भला,
कैसे करदूं इनसे कुट्टी ?
गैस, कैरोसिन ने जब जब,
है हमको आंख दिखाई,
ईंधन-उपलों ने आकर ही
हमरी लाज बचाई,
फिर भी क्यों सरकार हमीं से
रहती है रूट्ठी रूट्ठी
कष्ट मेरे हैं सखा भला,
कैसे करदूं इनसे कुट्टी ?
नहीं गरीब चाहता कोई,
फांके में दिन काटे,
किन्तु करे क्या कोई,
जब किस्मत ही टोटे घाटे,
क्यों न लगे शानोशौकत जग की,
फिर उसको झुट्ठी झुट्ठी ?
कष्ट मेरे सखा भला,
कैसे कर दूं इनसे कुट्टी ?
नहीं चाहिये खांड फ्री की,
गुड मेहनत का ही मीठा,
मेहनत बिन वैसे भी जग में,
सब कुछ फीका फीका,
फिर कैसे कह दूं हाय!
मेरी किस्मत है फुट्टी फुट्टी ?
कष्ट मेरे हैं सखा भला,
कैसे करदूं इनसे कुट्टी ?
✍️ – सुनील सुमन