Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

कष्ट भरा यह सारा जीवन

कष्ट भरा यह सारा जीवन (स्वर्णमुखी छंद/सानेट )

कष्ट भरा यह सारा जीवन।
सुख भी दुख का कारण होता।
दुख का नहीं निवारण होता।
व्याकुल रहता मन आजीवन।

सुख में हँसना दुख में रोना।
जीवनभर यह चलता रहता।
अति विपदा में सतत टूटता।
लगा हुआ है रोना धोना।

दुख में सुख की याद न आती।
दुख के आँसू सहज निकलते।
सारे तन के घाव टपकते।
दुख की वदरी बहुत सताती।

जब विवेक जिंदा रहता है।
कष्ट सदा मुर्दा लगता है।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 64 Views

You may also like these posts

मैं हूं कार
मैं हूं कार
Santosh kumar Miri
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
Neelofar Khan
मैं चंचल हूँ मेघों के पार से आया करता हूँ ।
मैं चंचल हूँ मेघों के पार से आया करता हूँ ।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
News
News
बुलंद न्यूज़ news
23/216. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/216. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रंगों का त्योहार है होली।
रंगों का त्योहार है होली।
Satish Srijan
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
Phool gufran
Karma
Karma
R. H. SRIDEVI
होली है !!!
होली है !!!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
卐                🪔 🪷🪷 卐
卐 🪔 🪷🪷 卐
ललकार भारद्वाज
"अबला" नारी
Vivek saswat Shukla
"हमारा सब कुछ"
इंदु वर्मा
कितने ही रास्तों से
कितने ही रास्तों से
Chitra Bisht
इस दिल में .....
इस दिल में .....
sushil sarna
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बांधाए आती हैं आने दो हर बाधा से लड़ जाऊँगा । जब तक लक्ष्य न
बांधाए आती हैं आने दो हर बाधा से लड़ जाऊँगा । जब तक लक्ष्य न
Ritesh Deo
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
gurudeenverma198
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
पूर्वार्थ
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
Neelam Sharma
बंदर के तलवार
बंदर के तलवार
RAMESH SHARMA
नसीबों का खेल है प्यार
नसीबों का खेल है प्यार
Shekhar Chandra Mitra
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
भीरू नही,वीर हूं।
भीरू नही,वीर हूं।
Sunny kumar kabira
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
हम खुद से प्यार करते हैं
हम खुद से प्यार करते हैं
ruby kumari
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
Mahima shukla
मौन
मौन
निकेश कुमार ठाकुर
Loading...