कष्ट भरा यह सारा जीवन
कष्ट भरा यह सारा जीवन (स्वर्णमुखी छंद/सानेट )
कष्ट भरा यह सारा जीवन।
सुख भी दुख का कारण होता।
दुख का नहीं निवारण होता।
व्याकुल रहता मन आजीवन।
सुख में हँसना दुख में रोना।
जीवनभर यह चलता रहता।
अति विपदा में सतत टूटता।
लगा हुआ है रोना धोना।
दुख में सुख की याद न आती।
दुख के आँसू सहज निकलते।
सारे तन के घाव टपकते।
दुख की वदरी बहुत सताती।
जब विवेक जिंदा रहता है।
कष्ट सदा मुर्दा लगता है।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।