शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
*** आशा ही वो जहाज है....!!! ***
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
तिरा चेहरा भी रुखसत हो रहा है जहन से,
Khata kar tu laakh magar.......
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढ़ते हैं।
नैनीताल ही हवा ताजी नहीं जहरीली है !!!!
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
है वक़्त बड़ा शातिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ग़ज़ल _ मंज़िलों की हर ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं ।
मोहब्बत एक अरसे से जो मैंने तुमसे की