गीत- चले आओ मिले तुमसे...
You lose when you wish to win.
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पीर- तराजू के पलड़े में, जीवन रखना होता है ।
आपका हर दिन तरक्की बाला हो,
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
माँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"सत्य"
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
अमावस्या में पता चलता है कि पूर्णिमा लोगो राह दिखाती है जबकि
कहानी- "खरीदी हुई औरत।" प्रतिभा सुमन शर्मा