कश्मकश
बड़ा शोर सुना था उनके आने का हमने ,
आंखों में कितने ही ख्वाब सजाए थे हमने,
मगर अब यह आलम है ए कश्मकश ए दिल !
उम्मीद न उम्मीद के जाल में फंसाया उन्होंने ।
बड़ा शोर सुना था उनके आने का हमने ,
आंखों में कितने ही ख्वाब सजाए थे हमने,
मगर अब यह आलम है ए कश्मकश ए दिल !
उम्मीद न उम्मीद के जाल में फंसाया उन्होंने ।